रइहीं तरिया म मनखे, पानी आबे,
अमुआ डारी म बइठे जोहत रइहौं।
घर म सुरता भुलाये, बइठे रहिबे,
कोला बारी म मैंहा, ताकत रइहौं।
बिना चिंता फिकर तैं, सोये रहिबे,
बनके पहरी मैं, पहरा देवत रइहौं।
तैंहा बनके बदरिया, बरसत रहिबे,
मैं पियासे,पानी बर, तरसत रइहौं।
मोर आघू म दूसर लंग हंसत रहिबे,
घूंट पी पी के मैंहा रोवत रइहौं।
दिया बाती बन तैंहा बरत रहिबे,
मैंहा बन के पतंगा जरत रइहौं।